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कैसे जाने, कुंडली में मंगल शुभ फल देने वाला है या अशुभ

मंगल गृह के विषय में यह विशेषता है कि यह या तो शुभ फल देने वाला होता है या फिर अशुभ फल देने वाला होता है | यह कभी भी मध्यम नहीं होता | इस गृह की शुभता या अशुभता दोनों ही पहले दर्जे की होती है | यदि मंगल की शुभ द्रष्टि रहती है तो अव्वल दर्जे की होती है और यदि अशुभ द्रष्टि हो तो यह भी अव्वल दर्जे की ही होती है | कुंडली के किसी भी एक घर में सूर्य के साथ बुध हो तो मंगल शुभ होता है | यदि सूर्य -शनि की युति हो तो मंगल अशुभ हो जाता है | नैसर्गिक रूप से मंगल न तो क्रूर होता है और न ही मासूम उसका भला-बुरा होना जन्मकुंडली में उसकी स्थिति पर निर्भर करता है |

आइये जानते है एक जातक की कुंडली में मंगल की शुभ द्रष्टि कब-कब होती है :-                                               शनि-राहु या शनि-केतु जन्मकुंडली में एक ही घर में बैठे हो तो मंगल शुभ फल देने वाला होता है |

  • दो शत्रु गृह एक ही घर में बैठे हो जैसे : बुध और केतु | ऐसे में भी मंगल शुभ रहता है |
  • 3 , 4 , 8  में से किसी भी घर में चन्द्र-शुक्र, चन्द्र-मंगल, शुक्र-मंगल या चन्द्र-मंगल -शुक्र हो | इस स्थिति में भी मंगल शुभ फल देने वाला है |
  • चन्द्र 1 , 4 , 7, 10 में से किसी भी घर में हो |
  • सूर्य छटे घर में हो तो भी मंगल शुभ फल देने वाला है |
  • सूर्य , चन्द्र या ब्रहस्पति 3, 4 , 8, 9 में हो |
  • मंगल के मित्र सूर्य, चन्द्र , ब्रहस्पति उसकी सहायता कर रहे हो तो भी मंगल शुभ होता है |

    जन्मकुंडली में मंगल अशुभ फल देने वाला कब-कब होता है : –

    जब मंगल के मित्र गृह सूर्य, चन्द्र , ब्रहस्पति, मंगल की सहायता नही करते हो तो मंगल अशुभ फल देने वाला हो जाता है | इसके अलावा जन्मकुंडली में निम्न गृह योग हो तो भी मंगल अशुभ होता है :-
    • यदि सूर्य 5 या 9 में केतु के साथ हो तो मंगल अशुभ हो जाता है |
    • यदि सूर्य 6 या 12 में राहु के साथ सातवें हो |
    • यदि सूर्य, शुक्र के साथ सातवें घर में हो |
    • यदि सूर्य 10वें में शनि के साथ हो |
    • यदि सूर्य बुध के साथ बारहवें में हो |
    • सूर्य 1 या 8 में मंगल के साथ हो तो अशुभ मंगल हो जाता है |
    चन्द्र और ब्रहस्पति यदि 3, 4, 8 में न हो तो वे मंगल की सहायता नहीं करते | यदि 3 , 4 , 8, में से किसी एक घर में मंगल हो और शेष दो घरों में बुध और केतु हो तो भी मंगल अशुभ हो जाता है |शुभ मंगल के देवता हनुमान जी है | अशुभ मंगल के देव भूत-प्रेत है | मंगल की शांति-पूजा , दानादि द्वारा लग्न को सक्रिय और बलवान बनाया जा सकता है | अगर आपकी जन्मकुंडली में भी मंगल अशुभ फल देने वाला है तो आप नीचे दिए गये उपायों द्वारा मंगल को शुभ बना सकते है : –
    1. मंगलवार के दिन उपवास रखे |
    2. हनुमान जी को चौला चढ़ाये |
    3. शहद, सिन्दूर , मसूर की दाल बहते पानी में प्रवाहित करें |
    4. भाई की सेवा करें |
    5. मर्गचर्म पर सोएं |
    6. शुद्ध चांदी के आभूषण धारण करें |

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