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जन्मकुंडली में सूर्य के शुभ और अशुभ फल कैसे जाने

अपनी उर्जा और प्रकाश से सूर्य चराचर जगत को पोषण देता है | सूर्य के आदिदेव विष्णु है | सूर्य हमेशा पूर्व से निकलकर पश्चिम में डूबता है | एक मार्ग से उसका भ्रमण दिखाई देता है | उसका गंतव्य अज्ञात है | वह न अपना मार्ग बदलता है और न कभी पीछे कदम हटाता है |सूर्य ऐसा राजा है जो सबकी सुनता है सबकुछ देखता है उसका अगला कदम क्या होगा इससे सभी अनभिज्ञ रहते है | ब्रहस्पति ब्रह्मांडनियंता है | ब्रहस्पति के बाद शासक सूर्य है | वह विश्वात्मा का प्रतिनिधि है | वह उदार शासक है , तपस्या करता है वह धार्मिक होते हुए भी किसी एक धर्म का अनुयायी नहीं है | सूर्य सत असत के ज्ञान से युक्त अपने ज्ञान के आधार पर न्याय का निर्णय करता है  |सप्तम घर में सूर्य नीच होता है | ऐसा कई प्राचीन विद्वानों का मानना है परन्तु प्रत्यक्ष में वह कभी नीच नहीं होता | जन्मकुंडली में घर स्थिति के आधार पर वह शुभ अशुभ फल दाता अवश्य होता है | पहले घर में बैठा सूर्य जातक को परमोच्च उत्कर्ष प्राप्त करा देता है परन्तु सुख प्राप्ति में वह अवरोध पैदा करता है | अहं ही उसके मार्ग का अवरोधक है | अगर जातक अपने अहं को त्याग दे तो वह भाग्यशाली होता है |केतु जन्मकुंडली के 1 या 6 घर में बैठा हो तो सूर्य अति शुभ फल प्रदान करता है | सूर्य का फल उसकी अपनी स्थिति पर निर्भर नहीं होता | अगर सूर्य पर बुध की द्रष्टि हो तो स्त्रियों के लिए बहुत अच्छा रहता है | बुध की सूर्य पर द्रष्टि होने से बुध के कारकत्व के बारे में अच्छे फल प्राप्त होते है | यदि सूर्य पर शनि की द्रष्टि हो तो सूर्य से सम्बन्धित कार्यों में न्यूनता पैदा होती है | किन्तु शुक्र से संबधित फलों में अप्रत्याशित वृद्धि होती है शनि द्वारा सूर्य पीड़ित होता है | किन्तु उससे जातक की आमदनी और खुशहाली पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता | शरीरिक कष्ट कुछ मात्रा में हो सकते  है | अगर शनि की सूर्य पर द्रष्टि हो या शनि के पहले के घरों में सूर्य हो तो जातक की घर की स्त्रियों को दुर्भाग्य के आघात सहने पड़ते है |यदि सूर्य को चन्द्र, मंगल या ब्रहस्पति की सहायता प्राप्त हो तो कम नमक सेवन करने वाला जातक अपनी वर्तमान स्थिति से उठकर काफी आगे बढ़ता है | यदि पांचवा घर खाली हो तो सूर्य का उपाय करना चाहिए | इससे पांचवा घर सक्रिय हो जाता है | ग्रहों के पैंतीस वर्षीय भ्रमणचक्र में सूर्य को दो वर्ष मिले है |कुंडली के छटे और सातवें घर में सूर्य ‘ राशि का गृह ‘ बन जाता है | राशि के गृह का उपाय करने से अशुभता का असर कम होता है |सोना और तांबा सूर्य की धातु है | शरीरिक द्रष्टि से मानवीय शरीर पर सूर्य का अधिकार माना गया है | किन्तु दाहिनी आँख और हड्डियों पर सूर्य का विशेष अधिकार होता है | सरकारी सेवा , सरकार से सम्बंधित कार्य , मटमैले रंग की शराब, आम , दीमक , फलों से युक्त वृक्ष, नमक, गुड़ , गेंहूँ, बाजरा , बरगद और इकलौता पुत्र सूर्य के अधिकार क्षेत्र में आते है |

जन्मकुंडली में सूर्य से अशुभ फल मिलने पर ये उपाय अवश्य करें : –

  • रविवार को उपवास रखे |
  • हरिवंश पुराण स्वयं पढ़े और सुने |
  • गेंहू , गुड़ और तांबा दान में दे |
  • सदाचारी एवं चरित्रवान बने |
  • ताम्बे की अँगूठी पहने |
  • ताम्बे के सिक्के बहते पानी में प्रवाहित करें |
  • घर का मुख्य द्वार पूर्वाभिमुख रखे |
  • कालाबाजारी न करें |
  • सूर्य उच्च हो तो सूर्य से सम्बन्धित चीजों का दान करें |
  • सरकारी अफसरों की कृपा प्राप्त करें |

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