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महाकाली शाबर मंत्र सिद्धि | इस शाबर मंत्र से माँ काली को शीघ्र प्रसन्न करें

महाकाली , माँ दुर्गा का ही प्रचंड रूप है जिनका जन्म धर्म की रक्षा करने के लिए और पापियों और दुष्टों का नाश करने के लिए हुआ है | महाकाली – महा और काली जिसका अर्थ है काल और समय भी इसके अधीन है | माँ काली को माँ दुर्गा की 10 महाविद्याओं में से एक माना गया है | दिखाई देने में जिस प्रकार माँ काली जितनी प्रचंड दिखती है अपने भक्तों पर उतनी ही जल्दी कृपा भी करती है |हनुमान जी , भैरव जी और महाकाली इन तीनों शक्तियों को कलियुग में जागृत माना गया है | अर्थात थोड़े से भक्ति भाव से ये प्रसन्न होकर अपने भक्तो  का उद्धार करते है |  महाकाली की उपासना करने से जीवन में सुख -शांति , शक्ति व बुद्धि का विकास होता है | इसके साथ -साथ सभी प्रकार के भय आदि से मुक्ति भी मिलती है |
माँ काली की उपसना करने वाले व्यक्ति को उनकी पूजा विधिवत करनी चाहिए और यदि किसी भी प्रकार का आपने यदि संकल्प लिया हुआ है तो कार्य पूर्ण होने पर उसे पूरा अवश्य करें अन्यथा माँ काली रुष्ट भी जो जाती है और उनका प्रकोप भी झेलना पड़ सकता है |महाकाली शाबर मंत्र :-आज हम आपको एक ऐसे शाबर मंत्र के विषय में बता रहे है जिसके प्रयोग से महाकाली शीघ्र प्रसन्न होती है | आप किसी भी मनोकामना पूर्ती हेतु इस शाबर मंत्र को सिद्ध कर सकते है | मंत्र इस प्रकार है : –ॐ काली घाटे काली माँ |पतित पावनी काली माँ |जवा फूले |स्थुरी जले |सेई जवा फूल में सीआ बेड़ाए |देवीर अनुर्बले |एहि होत करिवजा होइवे |ताही काली धर्मेर |वले काहारआज्ञे राठे |काली का चंडीर आसे |                                                            मंत्र सिद्ध करने की विधि : –                                                                                                           वैसे तो शाबर मंत्र अपने आप में सिद्ध मंत्र होते है किन्तु इन मन्त्रों में प्रबलता लाने के लिए और अपने कार्य को सिद्ध करने के लिए कुछ जाप करने जरुरी होते है | तो आइये जानते है उपरोक्त शाबर मंत्र को सिद्ध करने की विधि के विषय में :शनिवार  शाम को 7 से 10 के बीच में कोई एक समय निश्चित कर ले और आसन बिछाकर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाये | अब अपने साथ में एक गोला (पका हुआ नारियल ) इसे छोटे- छोटे टुकडो में तोड़ ले | एक मिटटी का खुला बर्तन जैसे की मटके का ढक्कन या इससे बड़ा हो तो भी उचित होगा पर मिटटी का होने चाहिए | अब एक गाय के गोबर के उपले (कंडा ) को भी अपने पास में रख ले | थोड़ी मात्रा में जलने वाला कपूर और घी रखे | अब आप अपनी क्षमता अनुसार जितने भी मंत्र जाप कर सकते है उनकी संख्या निश्चित कर उतनी संख्या के बराबर आधे लोंग और आधे इलाइची लेकर रख ले |अब आप गोबर के उपलों (कंडो ) द्वारा मिटटी के बर्तन में कपूर की सहायता से अग्नि प्रज्वलित करें | अब आप मंत्र का जाप आरम्भ कर दे और प्रत्येक मंत्र के बाद आप एक लोंग या एक इलाइची अग्नि में डाल दे | थोड़े -थोड़े समय पश्चात् घी और नारियल का गोला जिसके छोटे छोटे टुकड़े किये है उन्हें भी डालते रहे | घी और गोले को आपको प्रत्येक मंत्र के बाद अग्नि में डालने की आवश्यकता नही है , यह सिर्फ इसलिए है कि अग्नि लगातार प्रज्वलित होती रहे |इस प्रकार आप प्रत्येक मंत्र के बाद एक लोंग या इलाइची को अग्नि में छोड़ते चले जाये | आपको किसी प्रकार के दीपक जलाने या माला लेने की आवश्यकता नही है | बस आप दी गयी विधि अनुसार मंत्र जाप करते जाये | जैसे ही आप अपने मंत्र जाप पूरे करते है अब आप फिर से हाथ में जल लेकर फिर से संकल्प लेआप हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प लेइस क्रिया को आप शनिवार को शुरू कर 7 शनिवार तक प्रतिदिन करें | इस प्रकार 7 शनिवार तक इस प्रकार करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है | अब आप किसी भी मनोकामना पूर्ती हेतु इस मंत्र का प्रयोग कर सकते है | आप अपने कार्य में अवश्य सफल होंगे |मंत्र प्रयोग विधि : –इस मंत्र को सिद्ध करने के पश्चात आप जिस मनोकामना को माँ काली द्वारा पूर्ण करवाना चाहते है उसे मन ही मन ध्यान में रखते हुए इस मंत्र को तीन बार जाप करें और अपनी दाहिनी हथेली पर फूंक लगाये | आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूर्ण होगी |ग्रहण के समय एक ही दिन में इस मंत्र को सिद्ध करें : – शाबर मंत्र जप विधि : –11 बजकर 55 मिनट से पहले स्नान करके पूर्व दिशा की तरफ आसन बिछाकर बैठ जाये | एक घी का दीपक जलाये और हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प ले | संकल्प लेने के पश्चात् मंत्र जप शुरू कर दे और रात्रि 03 बजकर 48 मिनट तक लगातार मंत्र जप करें | अब आप फिर से हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प ले और अपने आसन को थोडा मोड़कर खड़े हो जाये | मंत्र जप के तुरंत बाद जो कपड़े आपने पहने हुए है, उनको पहने हुए ही स्नान करें | इस प्रकार से यह मंत्र जप ठीक चन्द्र ग्रहण शुरू होने से लेकर चन्द्र ग्रहण पूर्ण होने तक चलते रहने चाहिए | इस प्रकार से इस अवधि में मंत्र जप करने से मंत्र सिद्ध होते है |

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