हमजाद साधना के बहुत से गूढ़
रहस्य हैं ,चूँकि ये गैबी और रूहानी ताकट है अतः यहाँ पर
ज्यादा लिखना उचित नहीं होगा,यहाँ मात्र मैं उतना
ही लिख रहा हूँ जितना मैंने स्वयं करके सत्य पाया है और
परख कर उसकी सत्यता देखि है , हमजाद का अर्थ हम+जात अर्थात जो हमारे जैसी हो,हिन्दू धर्म इसे छाया पूरूष साधना भी कहते है,इस साधना को कइ प्रकार से किया जाता है जैसे कि इसे अपनी छाया या दर्पण पर पङने वाले अपने अक्ष पर भी किया जाता है,दोस्तो आप इसे पूर्ण श्रृद्धा और सदगुरुदेव
की कृपा और उनके आशीर्वाद से आप निश्चय ही इस
साधना का प्रभाव देख सकते हैं हमजाद साधना के फायदे-हमजाद सिध्द हो जाने के बाद आप भूत भविष्य,आने वाले संकट को जान सकते हो,इसके द्वारा मन चाहा कार्य करवा सकते हो. हमजाद साधना के नूकसान-जब तक यह आपके वश मे है आपक् मन चाहे कार्यो को पूर्ण करता लेकिन यदी इसे समय पर भोग नही मिला तो या यह आप पर हावी हो गया तो आपके परिवार सहित सभी का समूल विनास कर सकता है इसे पकङने की विधी-----
किसी भी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से इस साधना को
आप प्रारंभ कर सकते हैं ,एकांत कक्ष की व्यवस्था कर
लेनी चाहिए और कक्ष में १४ दिनों तक कोई ना जाये
इस बात का ध्यान रखे.पश्चिम दिशा की और मुह करके
बैठना है ,सफ़ेद हकीक माला से मंत्र जप होगा ,ये
साधना २ चरण की है पहले ३ दिन दरूद शरीफ को सिद्ध
करे और उसके बाद ४ थे दिन से नित्य 24 माला मंत्र जप
होगा, हर माला के बाद लोहबान की धुप देना है या
बेहतर होगा की आप लोहबान की अगरबत्ती सुलगा ले
और उसे बुझने न दे, बल्कि बुझने के पहले ही नयी जला लें.
रात्री का दूसरा प्रहर इसके लिए उपयुक्त रहता है. तहमद
(लुंगी) पहनकर और सर पर टोपी लगी हो सफ़ेद कुरता
पहना हुआ हो.शुरू के तीन दिन अपने सामने आंटे का गोल
घेरा बनाकर उसमे मिटटी का दीपक रख दे और उसमे
चमेली या मेहँदी का तेल भर दे और उस दीपक के चारो
और ३ गोमती चक्र,सफ़ेद आकडे की ३ अंगुल लंबी जड़ और
तीन हकीक पत्थर रख ले और माला से नित्य ७ माला
निम्न दरुद शरीफ की करे .माला करने के पहले एक बार ..
“ बिस्मिल्लाह हिर्रहमानिर्रहीम ” बोले और फिर माला
करे .
दरूद शरीफ-
“ अल्लाह हुम्मा सल्ले अल्ला,सैयदना मौलाना मुहम्मदिव
बारिक वसल्लम सलातो सलामो का या रसूल्लाह
सल्ललाहो तआला अलैह वसल्लम ”
तीन दिन तक यही क्रिया रहेगी ,तीन दिन बाद उस
दीपक को जिसमे तेल भरा है साफ़ रुई की बत्ती डालकर
अपने पीछे लगाना है और दीपक प्रज्वलित करना है
,याद रखिये आपका आसन सफ़ेद होना चाहिए और अपने
आसन के चारो और आंटे से एक घेरा दरूद शरीफ पढते हुए
बनायें. सामने जो भी वस्तुए स्थापित हैं वो वैसी ही
रहेगी ,अब जबकि आपके पीछे जल रहे दीपक की वजह से
आपकी परछाई सामने दिखाई दे रही होगी आपको उस
की गर्दन पर आपको निगाह केंद्रित करनी है और मंत्र
जप करना है ,पलकें झपक भी जाए तो कोई बात नहीं
,यथा सम्भव दृष्टि उसी पर केंद्रित करे.हाँ जप के पहले १
माला दरुद शरीफ की अवश्य करना है ताकि क्रिया
हानि न पहुचाये .और सबसे पहले बिस्मिल्लाह ..... भी
अवश्य कहे.मूल मंत्र जप के ७ वे दिन से ही आपकी परछाई
विचित्र खेल खेलने लगेगी ,कभी गायब हो जायेगी
,कभी आकार बड़ा या छोटा कर लेगी अजीब सी
आवाज सुनाई देने लगेगी,आगे के दिनों में आपको ऐसा
लगेगा जैसे आपके साथ साथ कोई और आपकी आवाज में
ही बोल रहा है. अंतिम दिवस आप आंटे का हलवा
बनाकर रख ले और जप के मध्य में भोग लगा दे ,मंत्र जप
की आखिरी मालाओं में एकाग्रता की जरुरत है क्यूंकि
आपका ध्यान बांटने के लिए हमजाद जोर से धमाके
करता है पर अंततः आखिरी माला से थोडा पहले ही
आपकी परछाई आपका ही रूप लेकर सामने बैठ जाती है
,और मुस्कुराकर आपकी और देखती है .माला पूरी होने के
बाद वो आपसे पूछती है की “ बताओ मैं तुम्हारे लिए
क्या कर सकता हूँ ” तो आप कहे की जब मैं तुम्हे इस मंत्र
का १४ बार उच्चारण करके बुलाउंगा तो तुम हाजिर होगे
और मेरे सभी नेक काम में मेरा साथ दोगे ,तो वो बदले में
आप क्या दोगे तो आप उसे कहिये की हर काम के एवज में
मैं सवा पाँव आंटे का हलुआ तुझे दूँगा.आपके इतना कहते
ही वो “ ठीक है ” ऐसा कहकर चला जाता है ,दुसरे दिन
आप हलवे समेत सभी सामग्री एक गढ्ढे में दबा दे .और
माला को संभल कर रख ले तथा कमरे को धो ले.और जब
भी नेक काम के लिए जरुरत हो,तब उसका आवाहन करे.
मंत्र-
हमजादे हमजाद पीरो मुर्शिद का तू गुलाम ,या कुफ्र
गैबी अजायबात ,हमजाद कहना मान,जो ना माने
तो कुफ्र टूटे तेरे सर पर तुझे माँ का दूध हराम, पीरो
पैगम्बरों की आन 7737934285
रहस्य हैं ,चूँकि ये गैबी और रूहानी ताकट है अतः यहाँ पर
ज्यादा लिखना उचित नहीं होगा,यहाँ मात्र मैं उतना
ही लिख रहा हूँ जितना मैंने स्वयं करके सत्य पाया है और
परख कर उसकी सत्यता देखि है , हमजाद का अर्थ हम+जात अर्थात जो हमारे जैसी हो,हिन्दू धर्म इसे छाया पूरूष साधना भी कहते है,इस साधना को कइ प्रकार से किया जाता है जैसे कि इसे अपनी छाया या दर्पण पर पङने वाले अपने अक्ष पर भी किया जाता है,दोस्तो आप इसे पूर्ण श्रृद्धा और सदगुरुदेव
की कृपा और उनके आशीर्वाद से आप निश्चय ही इस
साधना का प्रभाव देख सकते हैं हमजाद साधना के फायदे-हमजाद सिध्द हो जाने के बाद आप भूत भविष्य,आने वाले संकट को जान सकते हो,इसके द्वारा मन चाहा कार्य करवा सकते हो. हमजाद साधना के नूकसान-जब तक यह आपके वश मे है आपक् मन चाहे कार्यो को पूर्ण करता लेकिन यदी इसे समय पर भोग नही मिला तो या यह आप पर हावी हो गया तो आपके परिवार सहित सभी का समूल विनास कर सकता है इसे पकङने की विधी-----
किसी भी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से इस साधना को
आप प्रारंभ कर सकते हैं ,एकांत कक्ष की व्यवस्था कर
लेनी चाहिए और कक्ष में १४ दिनों तक कोई ना जाये
इस बात का ध्यान रखे.पश्चिम दिशा की और मुह करके
बैठना है ,सफ़ेद हकीक माला से मंत्र जप होगा ,ये
साधना २ चरण की है पहले ३ दिन दरूद शरीफ को सिद्ध
करे और उसके बाद ४ थे दिन से नित्य 24 माला मंत्र जप
होगा, हर माला के बाद लोहबान की धुप देना है या
बेहतर होगा की आप लोहबान की अगरबत्ती सुलगा ले
और उसे बुझने न दे, बल्कि बुझने के पहले ही नयी जला लें.
रात्री का दूसरा प्रहर इसके लिए उपयुक्त रहता है. तहमद
(लुंगी) पहनकर और सर पर टोपी लगी हो सफ़ेद कुरता
पहना हुआ हो.शुरू के तीन दिन अपने सामने आंटे का गोल
घेरा बनाकर उसमे मिटटी का दीपक रख दे और उसमे
चमेली या मेहँदी का तेल भर दे और उस दीपक के चारो
और ३ गोमती चक्र,सफ़ेद आकडे की ३ अंगुल लंबी जड़ और
तीन हकीक पत्थर रख ले और माला से नित्य ७ माला
निम्न दरुद शरीफ की करे .माला करने के पहले एक बार ..
“ बिस्मिल्लाह हिर्रहमानिर्रहीम ” बोले और फिर माला
करे .
दरूद शरीफ-
“ अल्लाह हुम्मा सल्ले अल्ला,सैयदना मौलाना मुहम्मदिव
बारिक वसल्लम सलातो सलामो का या रसूल्लाह
सल्ललाहो तआला अलैह वसल्लम ”
तीन दिन तक यही क्रिया रहेगी ,तीन दिन बाद उस
दीपक को जिसमे तेल भरा है साफ़ रुई की बत्ती डालकर
अपने पीछे लगाना है और दीपक प्रज्वलित करना है
,याद रखिये आपका आसन सफ़ेद होना चाहिए और अपने
आसन के चारो और आंटे से एक घेरा दरूद शरीफ पढते हुए
बनायें. सामने जो भी वस्तुए स्थापित हैं वो वैसी ही
रहेगी ,अब जबकि आपके पीछे जल रहे दीपक की वजह से
आपकी परछाई सामने दिखाई दे रही होगी आपको उस
की गर्दन पर आपको निगाह केंद्रित करनी है और मंत्र
जप करना है ,पलकें झपक भी जाए तो कोई बात नहीं
,यथा सम्भव दृष्टि उसी पर केंद्रित करे.हाँ जप के पहले १
माला दरुद शरीफ की अवश्य करना है ताकि क्रिया
हानि न पहुचाये .और सबसे पहले बिस्मिल्लाह ..... भी
अवश्य कहे.मूल मंत्र जप के ७ वे दिन से ही आपकी परछाई
विचित्र खेल खेलने लगेगी ,कभी गायब हो जायेगी
,कभी आकार बड़ा या छोटा कर लेगी अजीब सी
आवाज सुनाई देने लगेगी,आगे के दिनों में आपको ऐसा
लगेगा जैसे आपके साथ साथ कोई और आपकी आवाज में
ही बोल रहा है. अंतिम दिवस आप आंटे का हलवा
बनाकर रख ले और जप के मध्य में भोग लगा दे ,मंत्र जप
की आखिरी मालाओं में एकाग्रता की जरुरत है क्यूंकि
आपका ध्यान बांटने के लिए हमजाद जोर से धमाके
करता है पर अंततः आखिरी माला से थोडा पहले ही
आपकी परछाई आपका ही रूप लेकर सामने बैठ जाती है
,और मुस्कुराकर आपकी और देखती है .माला पूरी होने के
बाद वो आपसे पूछती है की “ बताओ मैं तुम्हारे लिए
क्या कर सकता हूँ ” तो आप कहे की जब मैं तुम्हे इस मंत्र
का १४ बार उच्चारण करके बुलाउंगा तो तुम हाजिर होगे
और मेरे सभी नेक काम में मेरा साथ दोगे ,तो वो बदले में
आप क्या दोगे तो आप उसे कहिये की हर काम के एवज में
मैं सवा पाँव आंटे का हलुआ तुझे दूँगा.आपके इतना कहते
ही वो “ ठीक है ” ऐसा कहकर चला जाता है ,दुसरे दिन
आप हलवे समेत सभी सामग्री एक गढ्ढे में दबा दे .और
माला को संभल कर रख ले तथा कमरे को धो ले.और जब
भी नेक काम के लिए जरुरत हो,तब उसका आवाहन करे.
मंत्र-
हमजादे हमजाद पीरो मुर्शिद का तू गुलाम ,या कुफ्र
गैबी अजायबात ,हमजाद कहना मान,जो ना माने
तो कुफ्र टूटे तेरे सर पर तुझे माँ का दूध हराम, पीरो
पैगम्बरों की आन 7737934285
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें