पैसा हर आदमी की जरूरत है। पैसों के बिना किसी भी स्तर पर जीना संभव नहीं है। लेकिन कई बार ना चाहते हुए भी पैसा बच नहीं पाता या पैसा आना ही मुश्किल हो जाता है। आज हम आपको ऐसे उपाय बताएंगे जिससे बहुत जल्दी ही आर्थिक तंगी दूर होगी और घनागमन के नए स्रोत खुलेंगे। इसके अलावा इससे सदस्यों के बीच कलह और मनमुटाव की स्थिति भी खत्म होती है और घर में खुशहाली आती है। हर पूर्णिमा पर सुबह 10 बजे पीपल वृक्ष पर मां लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए जो व्यक्ति आर्थिक समस्या से जूझ रहा हो, उसे इस समय पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही जल चढ़ाए और लक्ष्मी जी की उपासना करें और लक्ष्मी मंत्र की एक माला का जाप करे। धीरे धीरे सारी परेशानियां खत्म हो जाएंगी। किसी भी शुभ मुहूर्त या अक्षय तृतीया या पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें। साफ-सुथरे होकर लाल रेशमी कपड़ा लें। अब उस लाल कपड़े में चावल के 21 दानें रखें, ध्यान रहें चावल के सभी दाने साबूत हों कोई टूटा हुआ दान न रखें, उन दानों को कपड़े में बांध लें। इसके बाद धन की देवी माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजन करें। पूजा में यह लाल कपड़े में बंधे चावल भी रखें। पूजन के बाद यह लाल कपड़े में बंधे चावल अपने पर्स में छुपाकर रख लें। ऐसा करने पर कुछ ही समय में धन संबंधी परेशानियां दूर होने लगेंगी, ध्यान रखें कि पर्स में किसी भी प्रकार की अधार्मिक वस्तु कतई न रखें।
स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1....
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें