सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

त्राटक साधना सिद्धि

त्राटक साधना सिद्धि: भटकता हुआ या कहें विचलित मन मानसिक एकाग्रता को भंग कर देता है। यह न केवल व्यक्ति के बोध की अवस्था को प्रभावित करता है, बल्कि उसकी चेतना में अस्थिरता आने से आंतरिक शक्तियां कमजोर पड़ जाती हैं। आध्यात्म और धार्मिक अनुष्ठान के जरिए महत्वपूर्ण तरीका ‘त्राटक’ की सिद्धि और साधना के द्वारा इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। यदि कुछ नियमों का पालन करते हुए शास्त्रों में बताए गए प्रयोग किए जाएं तो इसकी सिद्धि संभव है।
त्राटक क्या है? ‘त्रि’ और ‘टकटकी बंधने’ से मिलकर बना शब्द त्राटक वास्तव में त्र्याटक है, जिसके विश्लेषण में कहा गया है कि जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु पर अपनी नजर और मन को बांध लेता है, तो वह क्रिया त्राटक कहलाती है। उस वस्तु को कुछ समय तक देखने पर द्वाटक और उसे लगातार लंबे समय तक देखते रहना ही त्राटक है। इसके लिए दृष्टि की शक्ति को जाग्रत करते हुए मजबूत बनानी होती है। यह क्रिया हठ योग के अंतरगत आती है। यह कहें कि त्राटक से किसी वस्तु को अपलक देखते रहने की अद्भुत शक्ति हासिल होती है। ऐसी स्थिति में एकाग्रता आती है और मन का भटकाव नहीं होने पाता है।
त्राटक साधना से अगर शरीर की सुप्त शक्तियां जागृत हो जाती हैं और निर्मल-निरोगी काया में सम्मोहन, आकर्षण और वशीकरण जैसे भाव भी समाहित हो जाते हैं। इस अनुसार त्राटक का वास्तविक रूप अपनी चेतना को भटकने से रोकने के संघर्ष में जीत हासिल कर लेती है। आईए, जानते हैं कुछ ऐसी विधियों के बारे में जिनसे इस शक्ति को हासिल कर विचार-प्रक्रिया को मजबूत बनाया जा सकता है।
त्राटक साधना ,कोई भी व्यक्ति अपनी प्रबल इच्छा शक्ति के जरिए त्राटक साधन की अद्भुत सिद्धियां हासिल कर सकता है। मन की एकाग्रता प्राप्त करने के लिए बताई गई अनेकों योग पद्धतियों में त्राटक साधना को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। इसके लिए व्यक्ति में असीम श्रद्धा, धैर्य और मन की शुद्धता का होना जरूरी है। यह कई तरह से किया जा सकता है। जिसमें ज्योति त्राटक, बिंदु त्राटक और दपर्ण त्राटक मुख्य हैं।
बिंदु त्राटकः यह त्राटक साधना का एक असान तरीका है, जिसके द्वारा इस क्रिया की शुरुआत की जाती है। इसके लिए किसी वस्तु, जैसे पेंसिल, फूल या कोई छोटी वस्तु को एकटक देखकर साधना की जाती है। यह एक ऐसी साधना है, जिसे सिद्ध करने वाले व्यक्ति में ऐसी शक्ति आ जाती है कि वह अपने विचारों से दूसरों के मन में पहुंच जाता है और वह व्यक्ति वशीभूत हो जाता है। इसतरह से वशीकरण होने पर दूसरों के मनोभावों या विचारों को पढ़ा-समझा जा सकता है। इसकी मुख्य बात यह है कि इसके लिए किसी भी तरह के तंत्र-मंत्र संबंधी अनुष्ठान आदि नहीं किए जाते हैं। यह एक तरह से आभासी ज्ञान, वशीकरण की अद्भुत शक्ति, प्रभाव, तेज और आत्मविश्वास को बढ़ा देता है। इसके लिए एक वर्गफूट के आकार का एक सफेद कागज लें, जो ड्राईंग पेपर हो सकता है। उसके बीच में काली स्याही से भरा हुआ तीन इंच व्यास का एक वृत बना लें। उस पेपर को अपने बैठने वाले आसन के सामने करीब तीन फीट की दूरी लिए हुए कमरे की दीवार पर इस तरह से टांग दें कि उसका वृत्त आपकी आंखों के ठीक सामने रहे। कमरे में हल्की रोशनी का होनी चाहिए। इस प्रयोग को रा़ित्र के समय शांत वातावरण में करने से अच्छा रहता है। उस वृत्त पर तब तक दृष्टि जमाए रहें जबतक कि उसपर कोई चमकीली न दिखने लगे। अर्थात ज्यों-ज्यों एकाग्रता बढ़ेगी, त्यों-त्यों वृत्त का कालापन खत्म होता चला जाएगा और एक स्थिति ऐसी भी आएगी जब वह एकदम से गायब ही हो जाएगा। इस अभ्यास को प्रतिदिन पंद्रह मिनट तक करते हुए लगातार 51 दिनों तक करने के बाद त्राटक साधना की सिद्धि प्राप्त हो जाती है। इस दौरान मन में बाहरी विचारों को नहीं आने देना चाहिए।
ज्योति त्राटक का तरीकाः इसकी सिद्धि रात्रि या घुप्प अंधेरे में प्रतिदिन करीब एक निश्चित समय पर बीस मिनट तक कर प्राप्त की जा सकती है। इस साधना के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा या अशांति नहीं पैदा होनी चहिए। ढीलेढाले परिधानों में असान लगाकर करीब तीन फुट की दूरी पर एक दीपक या मोमबत्ती को जलाकर उपासना की जानी चाहिए। ध्यान रहे दीपक या मोमबत्ती की लौ में हवा या दूसरी वजहों से कंपन नहीं होने पाए या वह ध्यान के बीच में ही बुझे नहीं। उसे लौ की ज्योति या कहें मधुर प्रकाश पुंज को स्थिर आंखों से एकाग्रता के साथ देखना चाहिए। आंखों की पलकें नहीं झपकनी चाहिए। ऐसा तबतक करना चाहिए, जबतक कि आंखों में किसी भी तरह की पीड़ा या असहनशीलता की स्थिति नहीं आए। इस सिलसिले को प्रतिदिन जारी रखने पर ज्योति का तेज बढ़ता हुए ऐहसास होगा। कुछ दिनों के बाद तो साधना के दौरान ज्योति के प्रकाश के अतिरिक्त कुछ भी नहीं दिखेगा। साथ ही प्रकाश पुंज में संकल्पित कार्य या व्यक्ति का स्वरूप दिखेगा, तो उस आकृति के अनुरूप घटित घटनाओं से आंखों की गजब के तेज की अनुभूति होगी और मनोवांछित कार्यों में सफलता मिलेगी। इस तरह से मिलने वाली सिद्धि सकारात्मक कार्यों के लिए हो तो बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। एक मान्यता के अनुसार सिद्ध योगियों में दृष्टिमात्र से ही अग्नि उत्पन्न करने की क्षमता त्राटक सिद्धि से ही हासिल होती है।
दर्पण त्राटकः इस तरीके में दर्पण का उपयोग किया जाता है, जिसमें अभ्यास के दौरान चेहरा नहीं दिखता है। इस साधन के दौरान व्यक्ति की स्थिति गहन ध्यान अर्थात शून्य मे विचरण की होती है और उसके द्वारा विचारी जाने वाली बातें साकार होने लगती हैं। इस साधना को संपन्न करने वाला व्यक्ति के चेहरे पर जहां तेज और आत्मविश्वास झलकता है, वहीं लंबे समय तक विचारशून्य बना रहता है। वह किसी को भी आसानी से सम्मोहित या वशीभूत कर लेता है। इसके अभ्यास के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।
दर्पण का आकार आठ इंच लंबा और छह इंच चैड़ा होना चाहिए। यानि कि उसमें नजदीक से केवल चेहरा दिखने लायक हो। उसके सामने इस तरह से बैठना चाहिए ताकि दर्पण में सिर्फ आपकी दोनों आंखों की पुतली ही दिखाई दे।
दर्पण को एकटक से निहारते समय अपनी सांसों को नियंत्रित रखना चाहिए। उसमे उतार-चढ़ाव आने से एकाग्रता भंग हो सकती है। यदि आपकी सांस एकदम रूकी हुई तो इससे आपकी वैचारिकता में स्थिरता आने की संभावना प्रबल हो जाती है। दर्पण में दिखने वाली सिर्फ पुतली पर ही ध्यान देना चाहिए, न कि दर्पण की फ्रेम या आस-पास की दीवारों पर। यह त्राटक लंबे समय तक प्रभावकारी रह सकता है। इस दौरान समय का अंदाजा लगाना मुश्किल है। दर्पण त्राटक से आत्मविश्वास, विचार शून्यता, सम्मोहन और प्राण ऊर्जा के अभ्यास किए जा सकते हैं।विशेषः त्राटक साधन के लिए खुद को अगर नियामों से बंधना होगा, तो इस उगते सूर्य, मोमबत्ती या दीपक की लौ, कोई यंत्र, दीवार या सफेद कागज पर बना बिंदु आदि को देखकर किया जा सकता है। इसक लिए आंखों की स्वस्थता का होना अति आवश्यक है। इससे आंखों और मस्तिष्क के भीतर गर्मी बढ़ जाती है और अधिक देर तक करने से आंखों से आंसू तक निकल आते हैं। इस स्थिति में अभ्यास थोड़े समय के लिए रोक देना चाहिए।

  

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

देवी महाकली के खतरनाक मौत के मंत्र - काली का खारनाकक मारन प्रार्थना

देवी महाकली के खतरनाक मौत के मंत्र    - काली का खारनाकक मारन प्रार्थना यह देवी महाकाली से संबंधित मौत मंत्र का खतरनाक रूप है  देवी महाकली इस चरण में वांछित काम करते हैं।  इस मंत्र के परिणामस्वरूप देवी इस मारन प्रार्थना को पूरा करेंगे। देवी महाकाली के खतरनाक मौत के मंत्र - ओम चाँदलीनी कामखन वासनी वैन डरगे क्लिन क्लिन था: गु: स्वाहा: खतरनाक मृत्यु मंत्र देवी महाकाली के अनुष्ठान - सबसे पहले हमें 11000 बार मंत्र जप से मंत्र की इस शक्ति को सक्रिय करने की आवश्यकता है  फिर जब गोवर्चन और कुम कुम के साथ भोजपतराह पर नीचे बखूबी रेखा लिखने का उपयोग करने की आवश्यकता होती है।  रेखा है - 'स्वाहा मेर्य्य हुन अमुक्कन (शत्रु का नाम यहाँ) ह्रीम फाट स्वाहा |  अब इसके बाद के मंत्र के साथ बाहर निकलते हैं और गर्दन में पहनते हैं, कुछ दिनों में दुश्मन की समय सीमा समाप्त हो जाएगी और देर हो जाएगी देवी महाकाली के खतरनाक मौत की घंटी हिन्दि संस्करण में - काली का  खारनाकक  मारन  प्रैयोग  -  खतरनाक  मारन  प्रयोग   ।  मंत्र  ।   चाण्डालिनी   कामाख्या  वासिनी  वन  दुर्गे  क्

स्तंभन तंत्र प्रयोग:

स्तंभन तंत्र प्रयोग: स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है। ।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।। इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है: 1.

बगलामुखी शत्रु विनाशक मारण मंत्र

शत्रु विनाशक बगलामुखी मारण मंत्र मनुष्य का जिंदगी में कभी ना कभी, किसी न किसी रूप में शत्रु से पाला पड़ ही जाता है। यह शत्रु प्रत्यक्ष भी हो सकता है और परोक्ष भी। ऐसे शत्रुओं से बचने के लिए विभिन्न साधनों में एक अति महत्वपूर्ण साधना है मां बगलामुखी की साधना। देवी मां के विभिन्न शक्ति रूपों में से मां बगलामुखी आठवीं शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसकी कृपा से विभिन्न कठिनाइयों और शत्रु से निजात पाया जा सकता है। कोई भी शत्रु चाहे वह जितना ही बलवान और ताकतवर हो अथवा छुपा हुआ हो, मां बगलामुखी के सामने उसकी ताकत की एक भी नहीं चल सकती। बगलामुखी शत्रु नाशक मंत्र की सहायता से शत्रु को पल भर में धराशाई किया जा सकता है, यह मंत्र है- ( १)  “ओम् हलीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशाय हलीं ओम् स्वाहा।” इस मंत्र साधना के पहले मां बगलामुखी को लकड़ी की एक चौकी पर अपने सामने स्थापित कर धूप दीप से उनकी पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात दिए गए मंत्र का प्रतिदिन एक हजार बार जाप करते हुए दस दिनों तक दस हजार जाप करें। नवरात्रा के दिनों में मंत्र जाप प्रारंभ करें और जाप