भूत प्रेत पिशाच वशीकरण साधना मंत्र, आधुनिकता के इस दौर में भी भूत प्रेत, पिशाच, जिन्न और बेताल की अदृश्य शक्तियों के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता। यह सदियों से इंसान के जीवन में किसी न किसी रूप में बना रहा है। इसका उपयोग वशीकरण के लिए होता आया है। चाहे वह वशीकरण स्त्री-पुरुष के निजी संबंधों में सुधार को लेकर हो, या फिर दूसरे किस्म की बाधाओं को दूर करने के लिए हो।
भूत प्रेत पिशाच वशीकरण साधना मंत्र हिदूं और मुस्लिम तंत्र विद्या में इसके मंत्र साधना के कई उपाए बताए गए हैं। वैदिक अनुष्ठान हों या फिर तंत्र-मंत्र की कठिन साधनाएं, उनके जरिए भूत प्रेत या पिशाच की सम्मोहन शक्ति हासिल की जाती है। विभिन्न तरह की साधनाओं में परी साधना, कर्ण पिशाचिनी साधना, किंकरी साधना, बेताल साधना, वीर साधना, डाकिनी साधना मुख्य हैं, जिनके बताए गए आवश्यक विधान-विधान इस प्रकार हैं साधना का विशेष स्थान एकांत और साफ-सुथरा होना चाहिए।
गुरु के बगैर साधना अर्थहीन समझा जाता है, इसलिए उनके दिशा-निर्देशें का पालन करते हुए साधना किया जाना चाहिए।
साधना में ब्रह्मचर्य का पालन बहुत जरूरी है, तथा उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाने का नहीं होना चाहिए।साधना में खुद के हाथों का भोजन ही करना चाहिए। इस दौरान किसी भी तरह का नशा और मांस का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
चमड़े के सामान का उपयोग नहीं करना चाहिए। इस तरह से बताए गए नियमों का पालन करते हुए अदृश्य शक्तियों को वश में किया जाता है और फिर उनका प्रयोग वशीकरण के विभिन्न उपायों के लिए कर सकते हैं।
वशीकरण विधिः भूत-प्रेत या पिशाच के वशीकरण साधना का विशिष्ट दिन मंगलवार या रविवार होता है। इनमें से किसी एक दिन रात में नौ बजे के बाद पीपल के पेड़ के पास जाकर नीचे दिए गए मंत्र का 42 हजार जाप करें। मंत्र जाप से पहले अदृश्य शक्ति का आवाहन करें और जाप के बाद पेड़ की जड़ के पास गाय के घी का दीपक जलाएं। पेड़ को धूप और अगरबत्ती दिखाएं। जड़ में गाय का दूध डाली विधि की संपन्नता के बाद आप अपने भीतर गजब की शक्ति का अनुभव करेंगे।
सिद्धी मंत्र हैः– ह्राॅं हूं प्रेत प्रेतेश्वर आगच्छ आगच्छ प्रत्यक्ष दर्शय दर्शय हूं फट!!
भूत-प्रेत साधना विधिः यह विधि पहले की तुलना में अधिक समय लेने वाली है, लेकिन इसे बहुत ही आसानी से संपन्न किया जा सकता है। ऊपर दिए गए मंत्र का जाप 11 दिनों तक किया जाता है, जिसे प्रतिदिन 108 बार जाप करना है। साधान के लिए रात के दस बजे मंगलवार या रविवार के दिन घर के एकांत स्थान पर दक्षिण दिशा की ओर बैठ जाएं। आपने वस्त्र काले रंग के और बिछी हुई आसन लाल रंग की होनी चाहिए। आवश्यक सामग्री के रूप में अपने सामने मिट्टी के दीपक में सरसों का तेल, काजल और मुट्ठी भर चावल रखें। सामने रूमाल नुमा सफेद कपड़े पर काजल से एक पुरुष आकृति का रेखाचित्र. बना लें। उसपर चावल के कुछ दानें डालें। उसके बाद उसे देखते हुए मंत्र जाप करें। इसी तरह से ग्यारह दिनों के बाद साधना पूर्ण होने पर सफेद कपड़े और पूजन की सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें।
बबूल और भूत वशीकरणः सदियों से चली आ रही मान्यता के अनुसार कांटों से भरे बबूल के पेड़ पर भूतों का वास होता है। वे उसके कांटों और पतली-पतली टहनियों में उलझे रहते हैं। यदि उन्हें मंत्र साधना से मुक्त कर दिया जाए तो वे सम्मोहित हो जाते हैं और फिर उसे मनचाहे वशीकरण के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। इसलिए उनके वशीकरण की साधना बबूल के पेड़ की जड़ के साथ किया जाता है। इस कार्य का सही समय मूल नक्षत्र है।इसके पहले दिन से प्रतिदिन सूर्यास्त के ठीक तुरंत बाद अंधेरा होने से पूर्व बबूल की जड़ में जल डालें और नीचे लिखे मंत्र का 10008 बार जाप करें। यह प्रक्रिया 41 दिनों तक करने के बाद 42वें दिन बबूल के पेड़ के पास जाएं। उस दिन जल नहीं डालंे। आपको भूत द्वार जल मांगने का एहसास होगा। इस स्थिति में आप भूत से अपने किसी कार्य संपन्न होने की मन्नत मांगें और पेड़ की जड़ में जल डाल दें। जाप का मंत्र इस प्रकार हैः-
ऊँ अं अं कं व भुं भुतेश्वरी मम वश्य कुरू कुरू स्वाहा!!
तांत्रिक के अनुसार इस मंत्र जाप से एक किस्म का सुरक्षा कवच बन जाता है, जिससे आप बुरी शक्तियों की चपेट में आने से बच सकते हैं।
कुछ भूत पीड़ितों का उपचारः कई बार कुछ लोग प्रेत बाधा के शिकार हो जाते हैं। उनकी पहचान बेवज हंसने, रोने, चीखने-चिल्लाने या फिर अजीबो-गरीब हरकतों को देखकर की जा सकती है। उन्हें भूत-प्रेत से मिलने वाली पीड़ा से मुक्त करने के लिए बताए गए कुछ उपाय इस तरह हैं, जिन्हें तांत्रिक की मदद से किया जाना चाहिए।
भूत-प्रेत प्रभावित व्यक्ति के सामने घेड़े की खुर का नख उपयोगी होता है, जिसे अश्विनी नक्षत्र में लेकर सुरक्षित रखा जाना चाहिए। इसे गोबर के उपले या लकड़ी की आग में डालकर गर्म करें और पीड़ित को छूने के लिए दें। गर्म नख के छूते ही उसकी असहजता में बदलाव आने लगेगा।
डाकिनी-शाकिनी की बाधा को दो सफेद अपराजिता और जावित्री के पत्ते के रस से दूर किया जा सकता है। इर रस की दो बूंदों का उपयोग नाक में शनिवार या मंगलवार को किया जाता है।
हनुमान की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर भोजपत्र या सफेद कागज पर लाल रंग की स्याही से निम्नलिखित मंत्र लिखें। इसके बाद हनुमान चालिसा का पाठ करें। उसे सात तह में मोड़कर ताबीज बना लें। ताबीज पीड़ित व्यक्ति को गले या वाहं में पहना दें। मंत्र हैः- ऊँ हां ह्रीं हूं हां हः सकल भूतप्रेत दमनाय स्वाह!!
रविवार के दिन नीम की पत्ती से भरी टहनी से एक अन्य मेंत्र को पढ़ते हुए प्रेत या भूत ग्रसित व्यक्ति को झाड़ने से उसे राहत मिलती है। झाड़ने के बाद उसके सामने सूखी नीम की पत्तियों की धूनी भी लगाएं। मंत्र:-ओम ह्वीं क्लीं कंकाल कपालिनी कुंडबरी आडंबरी भंकर घः घः!!
काली मिर्च के आठ दाने और तुलसी आठ पत्तियों को एक छोटे कपड़ में लपेट कर रविवार के दिन पीड़ित व्यक्ति के गले में पहना दें। इससे प्रेत बाध से मुक्ति मिलती है।
भूत प्रेत पिशाच वशीकरण साधना मंत्र हिदूं और मुस्लिम तंत्र विद्या में इसके मंत्र साधना के कई उपाए बताए गए हैं। वैदिक अनुष्ठान हों या फिर तंत्र-मंत्र की कठिन साधनाएं, उनके जरिए भूत प्रेत या पिशाच की सम्मोहन शक्ति हासिल की जाती है। विभिन्न तरह की साधनाओं में परी साधना, कर्ण पिशाचिनी साधना, किंकरी साधना, बेताल साधना, वीर साधना, डाकिनी साधना मुख्य हैं, जिनके बताए गए आवश्यक विधान-विधान इस प्रकार हैं साधना का विशेष स्थान एकांत और साफ-सुथरा होना चाहिए।
गुरु के बगैर साधना अर्थहीन समझा जाता है, इसलिए उनके दिशा-निर्देशें का पालन करते हुए साधना किया जाना चाहिए।
साधना में ब्रह्मचर्य का पालन बहुत जरूरी है, तथा उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाने का नहीं होना चाहिए।साधना में खुद के हाथों का भोजन ही करना चाहिए। इस दौरान किसी भी तरह का नशा और मांस का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
चमड़े के सामान का उपयोग नहीं करना चाहिए। इस तरह से बताए गए नियमों का पालन करते हुए अदृश्य शक्तियों को वश में किया जाता है और फिर उनका प्रयोग वशीकरण के विभिन्न उपायों के लिए कर सकते हैं।
वशीकरण विधिः भूत-प्रेत या पिशाच के वशीकरण साधना का विशिष्ट दिन मंगलवार या रविवार होता है। इनमें से किसी एक दिन रात में नौ बजे के बाद पीपल के पेड़ के पास जाकर नीचे दिए गए मंत्र का 42 हजार जाप करें। मंत्र जाप से पहले अदृश्य शक्ति का आवाहन करें और जाप के बाद पेड़ की जड़ के पास गाय के घी का दीपक जलाएं। पेड़ को धूप और अगरबत्ती दिखाएं। जड़ में गाय का दूध डाली विधि की संपन्नता के बाद आप अपने भीतर गजब की शक्ति का अनुभव करेंगे।
सिद्धी मंत्र हैः– ह्राॅं हूं प्रेत प्रेतेश्वर आगच्छ आगच्छ प्रत्यक्ष दर्शय दर्शय हूं फट!!
भूत-प्रेत साधना विधिः यह विधि पहले की तुलना में अधिक समय लेने वाली है, लेकिन इसे बहुत ही आसानी से संपन्न किया जा सकता है। ऊपर दिए गए मंत्र का जाप 11 दिनों तक किया जाता है, जिसे प्रतिदिन 108 बार जाप करना है। साधान के लिए रात के दस बजे मंगलवार या रविवार के दिन घर के एकांत स्थान पर दक्षिण दिशा की ओर बैठ जाएं। आपने वस्त्र काले रंग के और बिछी हुई आसन लाल रंग की होनी चाहिए। आवश्यक सामग्री के रूप में अपने सामने मिट्टी के दीपक में सरसों का तेल, काजल और मुट्ठी भर चावल रखें। सामने रूमाल नुमा सफेद कपड़े पर काजल से एक पुरुष आकृति का रेखाचित्र. बना लें। उसपर चावल के कुछ दानें डालें। उसके बाद उसे देखते हुए मंत्र जाप करें। इसी तरह से ग्यारह दिनों के बाद साधना पूर्ण होने पर सफेद कपड़े और पूजन की सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें।
बबूल और भूत वशीकरणः सदियों से चली आ रही मान्यता के अनुसार कांटों से भरे बबूल के पेड़ पर भूतों का वास होता है। वे उसके कांटों और पतली-पतली टहनियों में उलझे रहते हैं। यदि उन्हें मंत्र साधना से मुक्त कर दिया जाए तो वे सम्मोहित हो जाते हैं और फिर उसे मनचाहे वशीकरण के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। इसलिए उनके वशीकरण की साधना बबूल के पेड़ की जड़ के साथ किया जाता है। इस कार्य का सही समय मूल नक्षत्र है।इसके पहले दिन से प्रतिदिन सूर्यास्त के ठीक तुरंत बाद अंधेरा होने से पूर्व बबूल की जड़ में जल डालें और नीचे लिखे मंत्र का 10008 बार जाप करें। यह प्रक्रिया 41 दिनों तक करने के बाद 42वें दिन बबूल के पेड़ के पास जाएं। उस दिन जल नहीं डालंे। आपको भूत द्वार जल मांगने का एहसास होगा। इस स्थिति में आप भूत से अपने किसी कार्य संपन्न होने की मन्नत मांगें और पेड़ की जड़ में जल डाल दें। जाप का मंत्र इस प्रकार हैः-
ऊँ अं अं कं व भुं भुतेश्वरी मम वश्य कुरू कुरू स्वाहा!!
तांत्रिक के अनुसार इस मंत्र जाप से एक किस्म का सुरक्षा कवच बन जाता है, जिससे आप बुरी शक्तियों की चपेट में आने से बच सकते हैं।
कुछ भूत पीड़ितों का उपचारः कई बार कुछ लोग प्रेत बाधा के शिकार हो जाते हैं। उनकी पहचान बेवज हंसने, रोने, चीखने-चिल्लाने या फिर अजीबो-गरीब हरकतों को देखकर की जा सकती है। उन्हें भूत-प्रेत से मिलने वाली पीड़ा से मुक्त करने के लिए बताए गए कुछ उपाय इस तरह हैं, जिन्हें तांत्रिक की मदद से किया जाना चाहिए।
भूत-प्रेत प्रभावित व्यक्ति के सामने घेड़े की खुर का नख उपयोगी होता है, जिसे अश्विनी नक्षत्र में लेकर सुरक्षित रखा जाना चाहिए। इसे गोबर के उपले या लकड़ी की आग में डालकर गर्म करें और पीड़ित को छूने के लिए दें। गर्म नख के छूते ही उसकी असहजता में बदलाव आने लगेगा।
डाकिनी-शाकिनी की बाधा को दो सफेद अपराजिता और जावित्री के पत्ते के रस से दूर किया जा सकता है। इर रस की दो बूंदों का उपयोग नाक में शनिवार या मंगलवार को किया जाता है।
हनुमान की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर भोजपत्र या सफेद कागज पर लाल रंग की स्याही से निम्नलिखित मंत्र लिखें। इसके बाद हनुमान चालिसा का पाठ करें। उसे सात तह में मोड़कर ताबीज बना लें। ताबीज पीड़ित व्यक्ति को गले या वाहं में पहना दें। मंत्र हैः- ऊँ हां ह्रीं हूं हां हः सकल भूतप्रेत दमनाय स्वाह!!
रविवार के दिन नीम की पत्ती से भरी टहनी से एक अन्य मेंत्र को पढ़ते हुए प्रेत या भूत ग्रसित व्यक्ति को झाड़ने से उसे राहत मिलती है। झाड़ने के बाद उसके सामने सूखी नीम की पत्तियों की धूनी भी लगाएं। मंत्र:-ओम ह्वीं क्लीं कंकाल कपालिनी कुंडबरी आडंबरी भंकर घः घः!!
काली मिर्च के आठ दाने और तुलसी आठ पत्तियों को एक छोटे कपड़ में लपेट कर रविवार के दिन पीड़ित व्यक्ति के गले में पहना दें। इससे प्रेत बाध से मुक्ति मिलती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें